Monday, November 11, 2024

शयन वास्तु से आपका क्या तात्पर्य है, शयन कक्ष और बिस्तरों को वास्तु शास्त्र के सिद्धांत के अनुसार व्यवस्थित करें।

 शयन वास्तु को समझना


शयन वास्तु, वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों को संदर्भित करता है, जो विशेष रूप से बेडरूम और सोने की व्यवस्था से संबंधित है। वास्तु शास्त्र, वास्तुकला और स्थान व्यवस्था का एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है, जो ऊर्जा (प्राण) के प्रवाह और पाँच तत्वों (पंचभूतों) - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष - के संतुलन पर जोर देता है, ताकि सामंजस्यपूर्ण रहने की जगह बनाई जा सके। बेडरूम, आराम और कायाकल्प का स्थान होने के कारण, इसे इस तरह से डिज़ाइन और व्यवस्थित किया जाना चाहिए जो सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ाए।



 वास्तु शास्त्र के अनुसार बेडरूम और बिस्तर की व्यवस्था


 1. बेडरूम का स्थान


- मास्टर बेडरूम: मास्टर बेडरूम आदर्श रूप से घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में स्थित होना चाहिए। यह दिशा स्थिरता और शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है, जो परिवार के मुखिया के लिए आवश्यक है।

- बच्चों का बेडरूम: बच्चों के बेडरूम पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में सबसे अच्छे होते हैं। ये दिशाएँ विकास और स्वतंत्रता का समर्थन करती हैं।

- अतिथि शयन कक्ष: अतिथि कक्ष उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित हो सकते हैं, जो क्षणभंगुरता को बढ़ावा देता है और यह सुनिश्चित करता है कि अतिथि अपने स्वागत से अधिक समय तक न रुकें।


2. बिस्तर की स्थिति


- स्थिति: बिस्तर को इस तरह से रखा जाना चाहिए कि लेटते समय सिर दक्षिण या पक्षिम की ओर हो। यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्रों के साथ संरेखित होता है और आरामदायक नींद और स्वास्थ्य को बढ़ाता है।


- इससे बचें: बिस्तर को बीम के नीचे न रखें, क्योंकि इससे मानसिक तनाव और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, बिस्तर को सीधे बेडरूम के दरवाजे के सामने रखने से बचें।


3. बिस्तर का डिज़ाइन और सामग्री


- बिस्तर का फ्रेम: ठोस लकड़ी के बिस्तर के फ्रेम का उपयोग करें, क्योंकि लकड़ी को प्राकृतिक और ग्राउंडिंग सामग्री माना जाता है। धातु के बिस्तरों से बचना चाहिए क्योंकि वे सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बाधित कर सकते हैं।





- गद्दा: भागीदारों के बीच शारीरिक विभाजन पैदा करने से बचने के लिए दो अलग-अलग गद्दे की तुलना में एक ही गद्दा बेहतर होता है।


4. बेडरूम के रंग और सजावट


- रंग: हल्के नीले, हरे और पेस्टल शेड जैसे नरम, सुखदायक रंग बेडरूम के लिए आदर्श हैं क्योंकि वे शांति और आराम को बढ़ावा देते हैं। गहरे या बहुत चमकीले रंगों से बचें।

- सजावट: न्यूनतम और शांत सजावट का उपयोग करें। अव्यवस्था से बचना चाहिए क्योंकि यह ऊर्जा के प्रवाह को बाधित कर सकता है। उत्थानकारी कलाकृति रखें और उदासी या संघर्ष की छवियों से बचें।


5. प्रकाश व्यवस्था


- प्राकृतिक प्रकाश: सुनिश्चित करें कि दिन के दौरान कमरे में पर्याप्त प्राकृतिक प्रकाश प्रवेश करता है, लेकिन इसे हल्के पर्दे या ब्लाइंड्स से नियंत्रित करें। सकारात्मक ऊर्जा के लिए प्राकृतिक प्रकाश महत्वपूर्ण है।

- कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था: बेडरूम में नरम, परिवेश प्रकाश व्यवस्था का उपयोग करें। कठोर, चमकदार रोशनी से बचें। एक डिमर स्विच प्रकाश व्यवस्था को आरामदायक स्तर पर समायोजित करने में मदद कर सकता है।



6. दर्पण


- स्थान: दर्पण सीधे बिस्तर के सामने नहीं होना चाहिए। वास्तु के अनुसार, इससे बेचैनी और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। यदि दर्पण आवश्यक है, तो इसे अलमारी के दरवाजे के अंदर या ऐसी स्थिति में रखें जहाँ यह बिस्तर को प्रतिबिंबित न करे।


7. इलेक्ट्रॉनिक उपकरण


- न्यूनतम उपयोग: बेडरूम में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग कम से कम करें, क्योंकि वे आराम और नींद में बाधा डाल सकते हैं। यदि संभव हो, तो टीवी, कंप्यूटर और मोबाइल फोन को बेडरूम से बाहर रखें।


8. खिड़कियाँ और वेंटिलेशन


- खिड़कियाँ: उचित वेंटिलेशन और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए उत्तर या पूर्व की दीवारों पर खिड़कियाँ लगाएँ। सुनिश्चित करें कि खिड़कियाँ आसानी से खुलें और ताज़ी हवा का संचार हो।


- वेंटिलेशन: हवा को ताज़ा और ऊर्जा को जीवंत रखने के लिए अच्छा वेंटिलेशन बहुत ज़रूरी है। स्नेक प्लांट या पीस लिली जैसे वायु शोधक पौधे भी वायु की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।


9. भंडारण


- बिस्तर के नीचे: बिस्तर के नीचे सामान रखने से बचें क्योंकि यह ऊर्जा प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है और मानसिक अशांति पैदा कर सकता है। यदि भंडारण आवश्यक है, तो हल्के, आसानी से चलने योग्य सामान का उपयोग करें।


- अलमारी और कैबिनेट: अलमारी और भारी फर्नीचर को दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम की दीवारों के साथ रखें। यह स्थिरता और मजबूती का समर्थन करता है।


10. सोने की दिशा और दिनचर्या


- सिर की स्थिति: जैसा कि बताया गया है, दक्षिण या पूर्व की ओर सिर करके सोना आदर्श है। ऐसा माना जाता है कि यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ संरेखित होता है और बेहतर नींद को बढ़ावा देता है।


- दिनचर्या: एक सुसंगत सोने की दिनचर्या स्थापित करें जो आराम को बढ़ावा दे और आपके शरीर को संकेत दे कि यह आराम करने का समय है।


वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों को अपने बेडरूम में शामिल करने से आराम, स्वास्थ्य और समग्र कल्याण की गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। स्थान, बिस्तर की स्थिति, रंग, प्रकाश व्यवस्था और सजावट का सावधानीपूर्वक चयन करके और इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप को कम करके, आप एक ऐसा अभयारण्य बनाते हैं जो विश्राम और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है। शयन वास्तु का अंतिम लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि शयनकक्ष शांति, कायाकल्प और संतुलन का स्थान हो, जो सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध जीवन में योगदान देता हो।


विशेष : इस पोस्ट को बनाने का हमारा लक्ष्य सभी तक शिक्षा रूप में पहुंचाने का है। किसी भी प्रकार की सटीक जानकारी सभी ग्रहों को आकलन कर करी जाती हैं।

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धन्यवाद

Acharya Rahul Singh
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Thursday, August 10, 2023

ऑफिस के लिए वास्तु टिप्स | Office Vastu Tips By Acharya Rahul Singh |

अच्छी सफलता, अच्छा मुनाफा एव कार्यदक्षता सुनिश्चित करने लिए आपको अपने कार्यस्थल को वास्तु अनुरूप तैयार करना चाहिए | ऑफिस में वास्तु के अनुरूप तैयार किया गया हो तो यह सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी दक्षतापूर्वक कार्य करेंगे जो की कंपनी के लिए हितकारी होगा | मेरा नाम आचार्य राहुल सिंह है और मै कई वर्षो से ज्योतिष का अध्यन कर रहा हूँ और यह विद्या हर माध्यम से आप तक पहुचाने का प्रयास कर रहा हूँ | जिससे आप लोगो का जीवन सरल हो सके और आप सनातन धर्म के इस विज्ञान का लाभ ले सके | आज इस पोस्ट के माध्यम से में आप लोगों को यह बताऊंगा कि आप किस प्रकार अपने ऑफिस को वास्तु अनुसार बनाए ताकि आपके व्यापार में लाभ हो सके | 



ऑफिस का निर्माण 

ऑफिस का भूखंड आयताकार अथवा वर्गाकार होना चाहिए | भारी निर्माण दक्षिण एवं पश्चिम में करना चाहिए क्योकि ये नकारात्मक दिशा है |  अधिक रिक्त स्थान पूर्व एवं उत्तर में छोड़ना चाहिए | सतह की ढलान पूर्व, उत्तर अथवा उत्तर-पूर्व की और होनी चाहिए | भवन की उचाई चारो ओर से सामान होनी चाहिए | जल स्रोत्र उत्तर-पूर्व अथवा पूर्व में होना चाहिए | वाटर पंप  उत्तर अथवा पूर्व में अच्छा माना जाता है | किन्तु ओवर हेड टैंक उत्तर - पूर्व में होना एक बड़ा वास्तु दोष है, इसलिए टैंक का निर्माण दक्षिण - पश्चिम दिशा में करना चाहिए | सीढियों का निर्माण ऑफिस के दक्षिण अथवा पश्चिम हिस्से में करना चाहिए | ऑफिस के मध्य में सीढियाँ अच्छी नहीं मानी जाती | टॉयलेट का निर्माण पश्चिम अथवा उत्तर-पश्चिम में किया जा सकता है | उत्तर-पूर्व एवं उत्तर-पश्चिम दिशा टॉयलेट के लिए प्रयोग में नहीं लाना चाहिए | ऑफिस किसी मंदिर, कब्रिस्तान, अथवा अस्पताल के निकट नहीं होना चाहिए | 



ऑफिस की आंतरिक सज्जा 

रिसेप्शन उत्तर-पूर्व में बनाना चाहिए तथा रिसेप्शनिस्ट के बैठने की व्यवस्था उत्तर अथवा पूर्वमुखी होनी चाहिए | प्रतीक्षालय भवन के उत्तर-पूर्व अथवा उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाया जा सकता है | किन्तु उत्तर-पूर्व कोने को मंदिर के लिए छोड़ना चाहिए तथा उत्तर-पूर्व दिशा में फूल लगाने चाहिए | चेअरमैन अथवा जनरल मैनेजर का ऑफिस दक्षिण - पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा में बनाना चाहिए | उसे दक्षिण - पश्चिम दिशा में उत्तरमुखी होकर बैठना चाहिए तथा उसका टेबल आयताकार होना चाहिए | कर्मचारियों को उत्तर अथवा पूर्वमुखी बैठना चाहिए | किसी भी कर्मचारी को किसी बीम के निचे नहीं बैठना चाहिए | यदि दूसरा विकल्प नहीं हो तो बीम को लकड़ी के बोर्ड के द्वारा ढंक देना चाहिए | 



भारी अलमारी दक्षिण - पश्चिम दिशा में स्थापित करें जिसमे कि सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ रखे जाते हैं | ऑफिस का किचन भवन के दक्षिण - पूर्व में बनाना चाहिए क्योंकि दक्षिण-पूर्व अग्नि की दिशा है | ऑफिस के मध्य भाग में कोई भारी  निर्माण नहीं होना चाहिए | ऑफिस को हल्के रंगों से रंगें | गहरे रंगों का प्रयोग न करें क्योंकि इससे जल्दी गुस्सा आता है | ऑफिस के द्वार एवं खिडकिया उत्तर एवं पूर्व दिशा की होनी चाहिए | ऑफिस में निराशा को प्रदर्शित करती कोई तस्वीर नहीं लगनी चाहिए |



कुच्छ अन्य महत्वपूर्ण टिप्स 

पूर्वमुखी ऑफिस काफी लाभदायक माना जाता है |

भूखंड के अनियमित आकर पर ऑफिस का निर्माण उपयुक्त नहीं है |

जल संसाधन अथवा कोई भी जल स्रोत्र ऑफिस के उत्तर - पूर्व में स्थापित करें |

ग्राहकों को सेवा देते वक्त मालिक को उत्तरमुखी होकर बैठना चाहिए |

उत्तर अथवा पूर्व दिशा पदाधिकारियों एवं अन्य कर्मचारियों के लिए उपयुक्त है |

प्रबंधिक स्तर एवं अन्य उच्च स्तर के लोगों के बैठने की व्यवस्था दक्षिण अथवा पश्चिम में इस प्रकार करे कि बैठते समय उनका मुख उत्तर अथवा पूर्व दिशा की ओर रहे |

ऑफिस का उत्तर-पूर्व हिस्सा बिलकुल खाली छोड़ देना चाहिए तथा वहां जल स्रोत्र स्थापित करना चाहिए |

कंप्यूटर रूम दक्षिण-पूर्व में होना चाहिए |

मार्केटिंग विभाग उत्तर-पश्चिम में होना चाहिए |

कैशियर को उत्तर में बैठना चाहिए |

प्रोजेक्ट विभाग एवं अन्य सम्बंधित विभाग दक्षिण अथवा पश्चिम में होना चाहिए |

किसी भी द्वार के सामने किसी प्रकार का अवरोध नहीं होना चाहिए |



यह सभी बातें अगर आप अपने ऑफिस में उपयोग में लातें हैं तो आप देखेंगे कुछ ही समय में आपके ऑफिस में पॉजिटिव वातावरण होगा | जिससे की आपको अपने व्यापार में काफी लाभ मिलेगा | अगले पोस्ट में हम आपको बताएंगे की आप अपने ऑफिस में किस प्रकार फाइलिंग करें | जिससे आपके आयात - निर्यात, कैश - फ्लो , क्रेडिट - डेबिट में फाएदा प्राप्त हो |  

धन्यवाद 


Acharya Rahul Singh
Dhawan Dharm Astrology 
#acharyarahulsingh



शयन वास्तु से आपका क्या तात्पर्य है, शयन कक्ष और बिस्तरों को वास्तु शास्त्र के सिद्धांत के अनुसार व्यवस्थित करें।

 शयन वास्तु को समझना शयन वास्तु, वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों को संदर्भित करता है, जो विशेष रूप से बेडरूम और सोने की व्यवस्था से संबंधित है।...